ट्रम्प की तटस्थ नीति में नए बदलाव: इससे भारत को क्या फायदा हो सकता है
अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड डोनाल्ड ने हमेशा के लिए भारत-सरकार की मंजूरी दे दी है। उनके पद में भारत को रक्षा, व्यापार और प्रतिष्ठा जैसे क्षेत्रों में महत्वपूर्ण समर्थन मिला। हाल ही में समानता की तटस्थ नीति में उल्लेखनीय बदलाव देखने को मिले हैं, जो भविष्य में भारत के लिए राहत की बात हो सकती है। नीति में इस बदलाव से अमेरिका की वैश्विक स्थिति मजबूत होने के साथ ही भारत के साथ उसके संबंध भी मजबूत होने की उम्मीद है।
1. 'सर्वोच्च प्रथम' नीति और भारत की भूमिका
विदेश नीति "सार्वभौमिक सेना" के सिद्धांत पर लक्ष्य, जिसका अर्थ था कि अमेरिका अपने हितों को कुचलना चाहता है और दूसरे देशों के साथ मिलकर सहयोग करना चाहता है जब यह काम करना चाहता है। इस दृष्टिकोण के बावजूद, अंखला ने भारत के साथ मजबूत संबंध बनाने और चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने के लिए एक महत्वपूर्ण अभिनेता के रूप में देखा।
असल में दावा है कि भारत को 'प्रमुख रक्षा साझीदार' की उपाधि दी गई, जिससे अमेरिकी रक्षा साजो-सामान तक भारत की पहुंच आसान हो गई। इसके अलावा, वडोदरा (चतुर्भुज बातचीत) जैसे मंचों के माध्यम से भारत और अमेरिका के बीच सहयोग मजबूत हुआ, जिसका उद्देश्य हिंद-प्रशांत क्षेत्र में चीन की भागीदारी पर कब्जा करना था।
2. चीन का रुख और भारत का फ़ायदा
चीन के सबसे अहम सहयोगियों का एक अहम रुख था। उन्होंने चीन के साथ व्यापार युद्ध शुरू कर दिया और कई चीनी कंपनियों पर प्रतिबंध लगा दिया। अमेरिका और चीन के बीच इस मोटरसाइकिल शोरूम से भारत को फायदा हुआ।
तकनीकी क्षेत्र में लाभ:
तकनीकी क्षेत्र में अमेरिका और चीन के बीच भारी दरार ने भारत के लिए नए अवसर का उद्घाटन किया। अमेरिकी समर्थन ने भारत के तकनीकी विकास को बढ़ावा देने के लिए भारतीय आईटी आर्किटेक्चर और पेपर्स को बढ़ावा दिया।
भारत की ओर से आपूर्ति शृंखलाओं में बदलाव: जैसे-जैसे आपूर्ति शृंखलाएं दूर होती जा रही हैं, भारत एक वैकल्पिक उद्देश्य के रूप में विकसित होता जा रहा है, जिससे भारत के विनिर्माण क्षेत्र में विदेशी निवेश और विकास में वृद्धि हुई है।
3. व्यापार निवेश में अंतिम राहत
ट्रम्प प्रशासन के दौरान भारत-सार्वजनिक व्यापार में कई प्रस्ताव-आवेदन आये। हालाँकि ट्रम्प ने जीएसपी (सामान्य वर्गीकृत सिस्टम) के तहत कुछ परामर्श आयोजित किए, लेकिन उन्होंने कुछ भारतीय एजेंसियों पर भी टैरिफ लागू किया, जिससे व्यापार तनाव बढ़ गया।
ट्रम्प की अधिक तटस्थ नीति की ओर नए बदलावों के साथ, भारत के साथ व्यापार संतुलन को मजबूत करने पर नए सिरे से ध्यान केंद्रित करने की संभावना है। यदि ट्रम्प सत्ता में वापस आ गए हैं, तो भारत को तीर्थयात्रा से लाभ हो सकता है:
टैरिफ और व्यापार संतुलन में कमी: भारतीय पोर्टफोलियो पर टैरिफ कम करने से वे अमेरिकी बाजार में अधिक प्रतिस्पर्धी बन सकते हैं।
उन्नत डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स: भारत और अमेरिका डिजिटल व्यापार बेहतर दिशा में काम कर सकते हैं, जिससे भारतीय संस्थानों और तकनीकी सहयोग को लाभ मिलेगा।
4. भारत की सुरक्षा को बढ़ावा देना: भारत की सुरक्षा को बढ़ावा देना
ट्रम्प के नेतृत्व में भारत और अमेरिका ने कई महत्वपूर्ण रक्षा स्मारकों पर हस्ताक्षर किए, जैसे:
BECA (बेसिक रिविजन एंड कोऑपरेशन एग्रीमेंट)
LEMOA (लॉजिस्टिक्स प्रतिरूपण प्रत्यक्षीकरण)
COMCASA (संचार संगतता और सुरक्षा समझौता)
इन विक्षेपों से भारत को उन्नत अमेरिकी रक्षा प्रौद्योगिकी तक पहुंच प्राप्त हुई और क्षेत्र में भारत की सुरक्षा स्थिति मजबूत हुई।
भविष्य के रक्षा लक्ष्यों की संभावना: यदि ट्रम्प सत्ता में वापस आते हैं, तो भारत पर आक्रमण और मिसाइल हमले सहित और भी अधिक उन्नत अमेरिकी रक्षा किले तक पहुंच प्राप्त हो सकती है, जिससे उसकी रक्षा क्षमताएं और मजबूत होंगी।
ट्रंप की नीति में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में भारत की भूमिका बढ़ सकती है, जिससे चीन के बढ़ते प्रभाव का मुकाबला करने में मदद मिलेगी।
5. ऊर्जा सहयोग: भारत की ऊर्जा सुरक्षा सुनिश्चित करना
ट्रम्प के समझौते के दौरान, अमेरिका ने भारत को एलएनजी (ट्रायलाइज्ड प्राकृतिक गैस) और कच्चे तेल की आपूर्ति बढ़ा दी, जिससे भारत की ऊर्जा सुरक्षा में योगदान मिला।
ऊर्जा आपूर्ति में वृद्धि की संभावना: यदि ट्रम्प फिर से कायम है, तो भारत को ऊर्जा आपूर्ति पर और अधिक सिलेंडर मिल सकते हैं, जिससे एक स्थिर और टिकाऊ ऊर्जा स्रोत सुनिश्चित हो जाएगा।
हरित ऊर्जा में सहयोग: भारत और अमेरिका के बीच भी हरित और स्वच्छ ऊर्जा उत्पादन में सहयोग बढ़ने की संभावना है।
6. आव्रजन समुदायों में परिवर्तन और भारतीय गरीबों के लिए राहत
ट्रम्प प्रशासन ने H-1B वीज़ा पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसमें ऑस्ट्रेलियाई कम्युनिस्ट पार्टी भी शामिल थी, जिसका भारतीय आईटी पेशेवरों और छात्रों पर नकारात्मक प्रभाव पड़ा। हालाँकि, ट्रम्प का हाल ही में अधिक तटस्थ रुख अपनाना इन कम्युनिट में इंकलाब का संकेत देता है।
भारतीय आईटी पेशेवरों के लिए यात्रा राहत: ट्रम्प की वापसी से वीज़ा में नौकरी मिल सकती है, जिससे अमेरिका में भारतीय आईटी पेशेवरों और छात्रों के लिए अधिक अवसर पैदा हो सकते हैं।
भारतीय इंडस्ट्रीज और एंटरप्राइजेज को बढ़ावा: ट्रम्प की फिल्म भारतीय फिल्मों को अमेरिका में अपने व्यावसायिक विस्तार के लिए मान्यता दे सकती है, जिससे वे एक वैश्विक मंच मिल सकें।
7. भू-राजनीतिक संतुलन में भारत की भूमिका
ट्रम्प की नीति भारत को एक कट्टरपंथियों के रूप में दर्शाती है जो दक्षिण एशिया में स्थिरता बनाए रखने में योगदान दे सकता है।
अफगानिस्तान और पाकिस्तान पर भारत के रुख का समर्थन: ट्रंप का रुख अफगानिस्तान और पाकिस्तान पर भारत के रुख का समर्थन करता है, जिससे क्षेत्रीय स्थिरता कायम रहने से भारत को फायदा हो सकता है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष में भारत की भूमिका: वर्तमान में चल रहे भारत-यूक्रेन संघर्ष में रूस एक महत्वपूर्ण मध्यस्थ भूमिका निभा सकता है, जिससे उसकी वैश्विक स्थिति और मजबूत होगी।
8. ट्रम्प की तटस्थ नीति और भारत की आत्मनिर्भरता का मार्गदर्शक
ट्रम्प की नीति 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' जैसे पहलों के माध्यम से भारत की आत्मनिर्भरता के दृष्टिकोण का भी समर्थन किया जा सकता है।
प्रौद्योगिकी स्थानांतरण और निवेश में वृद्धि: अमेरिका से प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफ निवेश) और स्थानांतरण में वृद्धि से भारत के विनिर्माण में वृद्धि हो सकती है।
आईआईटीकोसिस्टम को बढ़ावा: ट्रम्प की नीति भारत में नवाचार और उद्यम को बढ़ावा दे सकती है, जिससे भारतीय इंस्टीट्यूटो को वैश्विक मंच पर बढ़ावा मिलेगा।
भारत की तटस्थ नीति में नए बदलाव के लिए व्यापार, रक्षा, प्रौद्योगिकी, ऊर्जा और भू-राजनीति में कई अवसर खुल सकते हैं। यदि सत्य सत्य वापस आ जाए, तो भारत-सापेक्षिक संबंध और मजबूत हो सकते हैं, जिससे भारत एक प्रमुख वैश्विक खिलाड़ी के रूप में स्थापित हो सकता है। भारत और अमेरिका के बीच इस साझेदारी में केवल दोनों देशों को शामिल नहीं किया गया, बल्कि पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में स्थिरता और समृद्धि में भी योगदान दिया गया।
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