लॉबी का भारत में प्रवेश और जीरो ट्राइ की अमेरिकन मांग: एक विस्तृत विश्लेषण
भारत का इलेक्ट्रिक सामान (ईवी) का बाजार तेजी से बढ़ रहा है और इस वृद्धि के बीच भारत में महत्वपूर्ण चर्चा का विषय बना हुआ है। हाल ही में एक रिपोर्ट में बताया गया है कि अमेरिका ने एक व्यापार अनुबंध के तहत भारत से विदेशी एसोसिएशन को विशेष रूप से ईवी पर जीरो टैरिफ के लिए बुलाया है, जिससे भारतीय बाजार में अपनी उपस्थिति मजबूत करने में मदद मिल सकती है।
हालाँकि भारत सरकार ने अभी तक कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया है, लेकिन इस मामले पर दोनों देशों के बीच चर्चा जारी है। यह लेख यूरोप के युवाओं की मांग, भारत के ऑटोमोबाइल उद्योग पर प्रभाव और इस विकास के राजनीतिक और आर्थिक निहितार्थों का पता लगाता है।
भारत में प्रवेश: एक लंबा इंतजार
एलन मस्क के मोटरसाइकिल्स ने लंबे समय से भारतीय बाजार में रुचि व्यक्त की है। हालाँकि, उच्च आयात शुल्क और अन्य विनियम स्काइ ने भारत में अपने टिकटों को लॉन्च करने से रोक दिया है। मस्क ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि भारत में विदेशी यात्रियों पर 60% से लेकर 110% तक की फीस हो सकती है, जो उन्हें दुनिया में सबसे ज्यादा बनाती है।
यूथ ने 2021 में भारत में अपनी वाहन बिक्री की योजना शुरू की थी, लेकिन हाई टैरिफ और भारत सरकार की ओर से नीतिगत स्पष्टता की कमी के कारण योजना पर रोक लगा दी गई। 2022 में विद्रोह ने फिर से भारत में अपना प्रवेश द्वार बनाया।
जीरो ट्राइ की अमेरिकी मांग: व्यापार वार्ता में नया मोड़
अमेरिका ने विदेशी कार्गो के तहत भारत से चल रहे व्यापार एक्रिकेट, विशेष रूप से इलेक्ट्रिक असेंबल (ईवी) पर जीरो ट्राई की मांग की है। यदि भारत इस मांग को सबसे अधिक स्वीकार करता है, तो निजीकरण और अन्य अमेरिकी कारों को अधिक फ़ायदा होगा।
ज़ीरो तारिफ़ की अमेरिकी मांग के पीछे का कारण
1. भारत में इलेक्ट्रिक सोसायटी की बहु मांग:
भारत में इलेक्ट्रिक सोसायटी की मांग तेजी से बढ़ रही है। सरकार भी FAME-II (फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक्स) योजना के माध्यम से इलेक्ट्रिक सोसायटी को बढ़ावा दे रही है। अमेरिका के युवा भारतीय बाजार में प्रवेश करना चाहते हैं और इस उभरते अवसर का लाभ उठाना आसान बनाना चाहते हैं।
2. चीन पर बिजनेस कमाना:
अमेरिका और चीन के बीच चल रहे व्यापार तनाव को देखते हुए, अमेरिका चाहता है कि युवा भारत बड़े पैमाने पर अपनी मजबूत स्थिति स्थापित करे ताकि चीन पर अच्छा प्रभाव न पड़े।
3. तकनीकी नेतृत्व बनाए रखना:
रोबोट दुनिया की सबसे बड़ी इलेक्ट्रिक वाहन निर्माता कंपनी है और अमेरिका चाहती है कि उसकी इंडस्ट्री भारत पर हावी हो जाए।
भारत का दृष्टिकोण: 'मेक इन इंडिया' और आत्मनिर्भरता पर ध्यान
भारत सरकार 'मेक इन इंडिया' और 'आत्मनिर्भर भारत' को बढ़ावा दे रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का प्रशासन चाहता है कि विदेशी भारत में स्थानीय औद्योगिक व्यवसाय स्थापित किए जाएं ताकि रोजगार का अवसर पैदा हो और आसानी से प्राप्त हो सके।
भारत की चिंताएँ
1. स्थानीय विज्ञान के खतरे:
शून्य टैरिफ की अमेरिकी मांग को स्वीकार करने से भारतीय ऑटोमोबाइल उद्योग को नुकसान हो सकता है। समुद्री सीमा पर स्थापित सोसायटी में स्थानीय लोगों को शामिल किया जा सकता है।
2. नौकरी पर प्रभाव:
भारत में इलेक्ट्रिक वाहन निर्माण संयंत्र स्थापित करने से हजारों की संख्या में लोग पैदा हो सकते हैं। हालाँकि, यदि युवाओं और अन्य विदेशी स्थानीय स्तर पर वाहनों का निर्माण करना पसंद किया जाता है, तो रोजगार के अवसर कम हो सकते हैं।
3. विदेशी मुद्रा दबाव:
शून्य टैरिफ की प्रारंभिक अनुमति से विदेशी मुद्रा का बहिर्गमन बढ़ सकता है, जिससे भारतीय अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ सकता है।
भारत में युवाओं की रणनीति और रणनीतियाँ
लॉबच ने भारत में स्थानीय उत्पाद और बिक्री के लिए कई देशों पर विचार किया है।
रणनीतियाँ:
1. स्थानीय संरचना:
भारत सरकार चाहती है कि रोबोटिक स्थानीय उत्पादन सुविधा स्थापित की जाए। यदि स्पोर्ट्स इंडिया में विनिर्माण सुविधा स्थापित की जाती है, तो उसे प्रोत्साहन और अन्य लाभ मिल सकते हैं।
2. आधिकृत होटल व्यवसाय:
यदि भारत जीरो टैरिफ पर सहमति है, तो क्राफ्ट अपने लोकप्रिय मॉडल, जैसे मॉडल 3 और मॉडल वाई, को सीधे भारतीय बाजार में पेश कर सकता है।
3. स्थानीय भाषाएँ:
किसी भी भारतीय कंपनी के साथ मिलकर संयुक्त उद्यम बनाने के लिए कंपनी की लागत कम करने और बाजार में मजबूत स्थिति स्थापित करने पर भी विचार किया जा सकता है।
भारत के ईवी बाज़ार का भविष्य और विवाद का प्रभाव
भारत का ईवी बाजार 2023 और 2030 के बीच 25% से अधिक की चक्रवृद्धि वार्षिक वृद्धि दर (CAGR) से बढ़ने की उम्मीद है। सरकारी लॉज और उपभोक्ता जागरूकता इस वृद्धि को बढ़ावा दे रही हैं।
युवाओं के प्रवेश का प्रभाव:
1. शानदार बढ़ी प्रतियोगिता:
टाटा, महिंद्रा और ओला इलेक्ट्रिक जैसे भारतीय ईवी निवेशकों के लिए प्रवेश तेज होगा।
2. तकनीकी विकास:
भारत में ईवी के उन्नत तकनीकी और स्वचालित ड्राइविंग क्षमताओं को बढ़ाया जा सकता है।
3. कीमत में कमी:
बहुसंख्यक सोसायटी से इलेक्ट्रिक एसोसिएट्स की कमी हो सकती है, जिससे निजीकरण को लाभ होगा।
अमेरिका-भारत व्यापार समझौता और इसके निहितार्थ
अमेरिका और भारत के बीच व्यापार बातचीत में कृषि, डिजिटल व्यापार और संपदा अधिकार (आईपीआर) समेत कई मुद्दे शामिल हैं।
भारत की शून्य टैरिफ के लिए शर्त:
1. स्थानीय वास्तुकला के प्रति खंड:
भारत में यह मांग हो सकती है कि प्लास्टिक स्थानीय व्यवसायिक बिक्री प्रतिष्ठान स्थापित हों और केवल किराए पर लिए गए वाहनों पर प्रतिबंध न हो।
2. स्थानांतरण स्थानांतरण:
भारत देश में इलेक्ट्रिक वाहनों के विकास को बढ़ावा देने के लिए विदेशी सहयोगियों से लेकर स्थानीय वैज्ञानिकों के साथ साझेदारी साझा करने के लिए कहा जा सकता है।
3. भारत को संयुक्त केंद्र के रूप में स्थापित करना:
भारत चाहता है कि शतरंज भारत को एक टुकड़े के रूप में और केंद्र के रूप में विकसित किया जाए, जिससे अन्य देश भी एकजुट हो सकें।
चुनौतियाँ और आगे की राह
भारत में तूफानों का प्रवेश और अमेरिका की जीरो टैरिफ की मांग पर कई कलाकार पेश करते हैं।
प्रमुख चुनौतियाँ:
1. नियति:
भारतीय सरकार की ओर से नीतिगत स्थिरता और स्पष्टता की कमी के लिए विदेशी निगमों के लिए सलाह निर्णय लेना कठिन बनाया जा सकता है।
2. रसाद और तटबंध ढांचा:
भारत में इलेक्ट्रिक असेंबलियों के लिए रिजर्वेशन अवसंरचना और मजबूत आपूर्ति श्रृंखला विकसित करना एक चुनौती बनी हुई है।
3. स्थानीय उद्योग का विरोध:
भारत का ऑटोमोबाइल उद्योग और श्रमिक संघ जीरो-टैरिफ नीति का विरोध कर सकता है, जिससे सरकार के लिए इसे लागू करना मुश्किल हो जाएगा।
निष्कर्ष: लॉटरी भारत में आकर्षक प्रवेश द्वार क्या है?
युवाओं का भारत में प्रवेश भारत और अमेरिका दोनों के लिए एक महत्वपूर्ण आर्थिक और प्रतिष्ठित कदम हो सकता है। हालाँकि, भारत को अमेरिका के साथ बातचीत करते समय अपने स्थानीय लक्ष्य और 'आत्मनिर्भर भारत' के बीच संतुलन बनाना होगा।
यदि भारत शून्य टैरिफ पर सहमति है, तो मोटरसाइकिल को फ़ायदा होगा, लेकिन स्थानीय ईवी विनाश को नुकसान हो सकता है। दूसरी ओर, यदि लॉटरी भारत में विनिर्माण इकाई स्थापित की जाती है, तो यह दोनों देशों के लिए फ़ायदेमंद स्थिति हो सकती है।
आने वाले महीने में यह तय होगा कि भारतीय बाजार में मजबूत उपस्थिति स्थापित कर स्थापित की जाएगी या नहीं।
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