बलूच हमले पिछले 5 सालों में 4 गुना बढ़े, 2024 में पाहुंची सांख्य 171
जब से भारत का विभाजन हुआ और पाकिस्तान बना, तब से बलूच लड़ाके पड़ोसि मुल्क की सुरक्षा के लिए एक बड़ा खतरा बने हैं। पिछले एक दशक तक उनकी गतिविधियां थोड़ी धीमी रहीं, लेकिन अब बलूच लड़ाके दोबारा मजबूत हो रहे हैं और पाकिस्तान के लिए एक बड़ी समस्या बन गए हैं। हाल ही में बलूच लड़ाकों ने बलूचिस्तान में एक बड़ा ट्रेन हाईजैक अंजाम दिया।
इंडिया टुडे के विश्लेषण के मुताबिक, 2015 के बाद से बलूच आतंकवादी हमलों की संख्या तेजी से बढ़ गई है। इसमे एक दिन पहले बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (बीएलए) द्वारा किया गया ट्रेन हाईजैक भी शामिल है।
अगर 2015 से तुलना करें, तो पिछले 5 सालों में बलूच समूहों के हमलों की संख्या 4 गुना बढ़ कर 2024 में 171 हो गई है। इस्लामाबाद स्थित थिंक टैंक पाकिस्तान इंस्टीट्यूट फॉर पीस स्टडीज (पीआईपीएस) के डेटा के हिसाब से, 2020 में सिर्फ 32 हमले हुए थे, जो 2021-22 में बढ़ कर 71 हो गए। 2023 में ये संख्या 78 रही और 2024 में 171 तक पहुंच गई, जो 2016 के बाद का सबसे ऊंचा स्तर है। पिछले 5 सालों में बलूच अलगावदी हमलों में लगभाग 590 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें पाकिस्तानी फौज के जवान भी शामिल हैं।
बलूच संकट का इतिहास
1948 में, पाकिस्तान के बनने के एक साल बाद, बलूच लोगों ने विद्रोह शुरू कर दिया था। उनका कहना था कि पाकिस्तान ने बलूचिस्तान का जबरदस्त विलय कर लिया था। तब से लेकर आज तक, ये जाति समुह आजादी या काम से ज्यादा स्वतंत्रता (स्वायत्तता) की मांग कर रहा है। उनकी मांग अपने क्षेत्र के प्राकृतिक संसदों पर नियंत्रण, अपनी अलग पहचान और संस्कृति की रक्षा, और राजनीतिक प्रकृति-निधित्व से जुड़ी है।
बलूच अलगाववादियों का ये भी कहना है कि विदेशी निवेश का असली मकसद बलूचिस्तान के संसाधनों को लूटना है, जिसका फ़ायदा पंजाब-भाषी मुस्लिम समुदाय को मिल रहा है, जो पाकिस्तान की राजनीति में सबसे अधिक शक्तिशाली है।
आखिरी कुछ सालों में बलूच समुदाय की सबसे बड़ी समस्या 'जबरन गायब' हो रही है। बलूच कार्यकर्ता और नागरिक समाज के लोग जो बलूचिस्तान के शोषण का विरोध करते हैं, उन्हें ज़बरदस्ती अगवा कर लिया जाता है। जबरन गायब किए जाने पर पाकिस्तान सरकार की जांच आयोग की मुताबिक, 2016 से 2024 के बीच 10,500 से ज्यादा लोग लापता हो चुके हैं। 2021 में ये सांख्य 1,460 थी। हलांकी, सरकारी रिपोर्ट में लापता लोगों की पहचान साफ नहीं होती, लेकिन अधिकाश मामले में बलूचिस्तान और खैबर पख्तूनख्वा से जुड़े माने जाते हैं।
बलूच अलगाववादियों के बढ़ते हमले
बलूच विद्रोहियों का लक्ष्य अक्सर पाकिस्तानी सुरक्षा बल और गैर-बलूच मजदूर होते हैं। लेकिन आखिरी कुछ सालों में उन्होन चीनी नागरिकों पर भी हमने शुरुआत कर दी है।
अक्टूबर 2023 में, बीएलए ने कराची में दो चीनी नागरिकों का हत्या कर दी।
2022 में, बीएलए ने पाकिस्तानी सेना और नौसैनिक अड्डों पर हमला किया था, जो सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ा झटका था।
पाकिस्तान के लिए बलूचिस्तान क्यों जरूरी है?
बलूचिस्तान पाकिस्तान के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है, क्योंकि यहां चीन का बड़ा निवेश और बुनियादी ढांचा परियोजनाएं चल रही हैं। चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) इसी प्रदेश से हो कर गुजरता है, और ग्वादर बंदरगाह इसका प्रवेश बिंदु है।
ये प्रदेश एक बड़ा माइनिंग हब भी है, जिसका रेको दिक खान प्रकल्प सबसे बड़ा है। ये दुनिया के सबसे बड़े सोने और तांबे के भंडारों में से एक है, जिसे बैरिक गोल्ड कंपनी चला रही है। चीन भी यहां सोने और तांबे की खदानें संचालित कर रहा है।
लगभाग 1.5 करोड़ की आबादी वाला बलूचिस्तान, पाकिस्तान का सबसे बड़ा प्रदेश है (क्षेत्रफल के हिसाब से), लेकिन सबसे कम आबादी वाला है। इसका अरब सागर के किनारे लंबा समुद्र तट है, जो स्ट्रेट ऑफ होर्मुज (जो विश्व का एक महत्तवपूर्ण जहाजरानी मार्ग है) से ज्यादा दूर नहीं है।
पाकिस्तान के लिए सुरक्षा चुनौति
बलूच अलगाववादियों की बढ़ती गतिविधियां पाकिस्तान के लिए एक बड़ी सुरक्षा चुनौती बन गई हैं। सीपीईसी और अन्य बुनियादी ढांचा परियोजनाओं की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान को अपनी सेना का ज्यादा से ज्यादा आवेदन करना पड़ रहा है। फिर भी, बलूच अलगाववादी समुह लगातार अपने हमले बढ़ाये जा रहे हैं।
विषेषज्ञों का मानना है कि जब तक बलूच लोगों की मांगे नहीं सुनी जाएंगी, तब तक ये इलाका अशांत बना रहेगा। पाकिस्तान सरकार के लिए ये जरूरी हो गया है कि बलूच लोगों की राजनीति और आर्थिक समस्याओं का समाधान करे, वरना ये संघर्ष और ज्यादा उलझ जाएगा।
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